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सूचनाः- ये ब्लॉग 10 नवंबर 2014 को खुलासों की दुनिया के साथ बदल दिया जाएगा क्योकि बहुत साड़ी एक जैसी पोस्ट होने के कारण पाठकों को दिक्कत होती है। 10 नवंबर 2014 से हमारे ये ब्लॉग होंगे :- हिंदुत्व की आवाज @ www.savdeshi.blogspot.com
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सोमवार, 1 सितंबर 2014

कौन किसका बेटा है और किसका बाप कौन है

अब बात करते हैं इस परिवार के उस झोल-झाल की जो आपने किसी हिंदी सिनेमा में भी नहीं देखा होगा! कौन किसका बेटा है और किसका बाप कौन है! शायद इन्हें खुद भी नहीं पता होगा! अब इंदिरा गाँधी को हुए दो बेटे! राजीव गाँधी और संजय गाँधी!

संजय गाँधी का असली नाम

रखा गया था संजीव गाँधी! (राजीव के नामके साथ तुकबंदी वाला, जैसे पहले नाम रखा करते थे लोग !)

अब संजीव से संजय बनने के पीछे भी रोचक कहानी है!
अब हुआ ये की जो ये संजीव गाँधी था, ये ब्रिटेन के अन्दर कार चोरी के केस में पकड़ा गया और इसका पासपोर्ट जब्त कर दिया गया!
अब इस चालबाज़ औरत इंदिरा गांधी के निर्देश पर, तत्कालीन भारतीय ब्रिटेन के राजदूत, कृष्णा मेनन ने वहां प्रभाव का दुरुपयोग करके , संजीव गाँधी का नाम बदलकर संजय कार दिया और एक नया पासपोर्ट जारी कार दिया! अब संजीव गाँधी संजय गाँधी के नाम से जाना जाने लगा!

अब ये गलतफ़हमी भी दूर किये देता हूँ कि इंदिरा गाँधी के दोनों सपूत राजीव गाँधी और संजय गाँधी सगे भाई थे या नहीं!

ये बात जग जाहिर थी कि जब राजीव गाँधी का जनम हुआ तब इंदिरा गाँधी और उसके पति फिरोज (खान) गाँधी अलग अलग रह रहे थे, लेकिन उनमें तलाक नहीं हुआ था!

“The Nehru Dynasty” (ISBN 10:8186092005) किताब में जे. एन. राव कहते हैं कि इंदिरा गाँधी (श्रीमती फिरोज खान) का जो दूसरा बेटा था, संजय गाँधी वो फिरोज खान कि औलाद नहीं था! बल्कि वो एक दुसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के चलते हुए था!

दिलचस्प बात ये है कि संजय गाँधी की शादी एक सिखनी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी! जाहिर तौर पर युनुस इस शादी से ज्यादा खुश नहीं था क्यूंकि वो संजय कि शादी अपनी पसंद की एक मुस्लिम लड़की से करवाना चाहता था!

जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई तब मोहम्मद युनुस ही सबसे ज्यादा रोया था!

युनुस की लिखी एक किताब “Persons, Passions & Politics” (ISBN-10: 0706910176) से साफ़ पता चलता है कि बचपन में संजय गाँधी का मुस्लिम रीती रिवाज के अनुसार खतना किया गया था! (खतना-जिसमे उनके लिंग के आगे के कुछ भाग को थोडा सा काट दिया जाता है!)

यह सच है कि संजय गांधी लगातार अपनी मां इंदिरा गांधी को अपने असली पिता के नाम पर ब्लैकमेल किया करता था! संजय का अपनी माँ पर पर गहरा भावनात्मक नियंत्रण था जिसका संजय ने जमकर दुरूपयोग किया! इंदिरा गांधी भी उसकी इन सब बातों (कुकर्मों) को नजरअंदाज करती रही और संजय परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित किया करता था!

एक माँ की ममत्व के लिए कलंकित एक उदाहरण -- जब संजय गाँधी कि प्लेन दुर्घंतना के साथ उसकी मौत कि खबर इंदिरा गाँधी तक पहुंची तो इंदिरा गाँधी के पहले बोल थे- उसकी घडी और चाबियाँ कहाँ है!

अवस्य ही उन वस्तुवों में भी इस खानदान के कुछ राज छुपे हुए होंगे!

एक बात और, संजय गाँधी कि प्लेन दुर्घटना भी पूर्ण रूप से रहस्यमय थी! संजय गन्दी का प्लेन गोता लगते हुए बिना किसी चीज से टकराए क्रेश हो गया! ऐसा सिर्फ उस स्थिति में होता है जब विमान में इंधन ख़तम हो जाये! लेकिन उस समय का उड़ान रजिस्टर बताता है कि उड़ने से पहले ही टेंक पूरा भरा गया था! और बाद में इंदिरा गाँधी ने अपने प्रभाव का इन्स्तेमाल करते हुए जाँच निशिद्द करदी!


अब संदेह होना लाजमी है या नहीं!

दुबारा से श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्यार के किस्सों पर आते हैं!
केथरीन फ्रेंक की एक किताब “The Life of Indira Nehru Gandhi” (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गाँधी के कुछ दुसरे प्यार के किस्से उजागर होते हैं!

  • ये लिखा गया है कि इंदिरा गाँधी का पहला चक्कर पहली बार अपने जर्मन के अध्यापक के साथ चला था!

  • बाद में अपने बाप जवाहर लाल के सेक्रेट्री एम् ओ मैथई के साथ भी उसका प्रेम परवान चढ़ा

  • फिर अपने योग के अध्यापक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और उसके बाद विदेश मंत्री दिनेश सिंह के साथ इनका प्रेम परवान चढ़ा!

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक “Profile and Letters” (ISBN: 8129102358) में मुगलों के प्रति इंदिरा गांधी का आदर के संबंध के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया! इसमें कहा गया कि जब 1968 में प्रधान मंत्री रहते इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान कि अदिकारिक यात्रा पर गयी तब नटवर सिंह उनके साथ एक आई.ऍफ़. एस. अधिकारी के तौर पर गए हुए थे! दिन के सभी कार्यक्रमों के बाद इंदिरा गाँधी सैर के लिए जाना चाहती थी! थोड़ी दूर तक कार में चलने के बाद इंदिरा गाँधी ने बाबर कि दफंगाह को देखने कि इच्छा जाहिर कि! हालाँकि ये उनके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी! अफगानी सुरक्षा अधिकारीयों ने भी इंदिरा को ऐसा न करने कि सलाह दी, लेकिन इंदिरा अपनी बात पर अड़ी हुई थी! और अंत में इंदिरा उस जगह पर गयी! यह एक सुनसान जगह थी! वह वहां कुछ देर तक अपना सिर श्रदा में झुकाए खड़ी रही! नटवर सिंह वहीँ उसके पीछे खड़ा था! जब इंदिरा गाँधी का ये सब पूजा का कार्यक्रम खत्म हुआ तब वो मुड़ी और नटवर सिंह से बोली कि आज वो अपने इतिहास से मिलके आई है!किसी को अगर समझ न आया हो तो बता दूँ कि बाबर को ही हिंदुस्तान में मुग़ल सल्तनत का संस्थापक मन जाता है, और ये गाँधी नेहरु का ड्रामा उसके बाद ही शुरू हुआ था!

उच्च शिक्षा के कितने संस्थानों के नाम इस परिवार और इनके चापलूसों ने राजीव गाँधी के नाम पर रख दिए, इसकी गिनती करना तो बहुत मुश्किल काम है! लेकिन अपने जीवन में राजीव गाँधी खुद एक कम क्षमताऔर पढ़ाई कमज़ोर था! 1962 से 1965तक उसने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया था!लेकिन उसने डिग्री के बिना कैम्ब्रिज छोड़ दिया क्योंकि वह परीक्षा पास नहीं कर सका.!1966 में अगले वर्ष, वह इंपीरियल कॉलेज, लंदन में दाखिल हुआ , लेकिन फिर से डिग्री के बिना छोड़ दिया!

के.एन. राव ने अपनी पुस्तक में साफ़कहा कि राजीव गांधी सानिया मैनो से शादी करने के लिए एक कैथोलिक बन गया!और उसका नाम रखा गया रॉबर्टो ! उसके बेटे का नाम RAUL है और बेटी का नाम BIANCA है!
काफी चतुराई से ही नाम राहुल और प्रियंका के रूप में भारत के लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं

व्यक्तिगत आचरण में राजीव बहुत ज्यादा एक मुगल की ही तरह था!

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अगस्त 1988 पर वह लाल किले से अपने भाषण में बोलता है-- हमारा उद्देश्य इस देश को उन ऊँचाइयों पर ले जाना है जहाँ ये 250-300 साल पहले था!
(
ये तब कि बात है जब औरंगजेब का शासन था,नंबर एक मंदिर विध्वंसक )

अब एक और धूर्तता देखिये! भारत में प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रिटेन में हुई एक प्रेस कोंफ्रेंस में राजीव गाँधी ने दावा किया कि वो हिन्दू नहीं बल्कि पारसी है!

अब फिरोइज़ खान के पिता (राजीव के दादा) गुजरात के जुनागड़ के एक मुस्लिम महाशय थे! पंसारी का काम करने वाले इस मुसिम से एक पारसी महिला से शादी कि थी उस महिला को इस्लाम कबूल करवा के! शायद यही से ही राजीव ने अपनी ये पारसी होने कि काल्पनिक कहानी घडी! वैसे इसके पुरखों में कोई भी पारसी नहीं रहा! और राजीव का अन्तिकम संस्कार पुरे भारत के सामने हिन्दू विधि विधान से हुआ है!

अब सोनिया गाँधी के चरित्र पर प्रकश डालते हैं! एक मित्र ने मुझे ये कहा इस फोरम में कि हम आज भी अपनी देश कि बहुवों को विदेशी महिला कहते हैं जोकि गलत बात है! अब उस बहु के चरित्र और लक्षणों पर जरा गौर फरमाईयेगा !

डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं कि इस सोनिया गाँधी का नाम अन्तोनिया मायनो था और उसका बाप इटली के कुख्यात फासिस्ट शासन का एक कार्यकर्ता था और उसने रूस में पांच साल के कारावास भोगा!
सनिया गाँधी ने हाई स्कूल से ज्यादा शिक्षा तक प्राप्त नहीं की है! कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर के बाहर अंग्रेजी का ज्ञान देने वाली एक छोटे से स्कूल लेंनोक्स स्कूल से उसने थोड़ी बहुत अंग्रेजी सीखी और अब उसे ही कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक हुआ बताती है!
थोड़ी बहुत अंग्रेजी सीखने के बाद उसने कैम्ब्रिज में एक होटल में वेट्रेस का काम किया!
इंग्लैंड में सोनिया गाँधी कि माधव राव सिंधिया के साथ बहुत गहरी दोस्ती थी जोकि उसकी शादी एक बाद तक चली! 1982 में एक बार रात को 2 बजे दोनों एक हीकार में साथ साथ पकडे गए थे जब आई.आई.टी. दिल्ली मेन गेट के पास उनकी कारदुर्घत्नाघ्रस्त हो गयी थी!

जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे , तब प्रधानमंत्री सुरक्षा बल नई दिल्ली और चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आया जाया करते थे जहाँ से भारत के मंदिर की कीमती मूर्तियां, प्राचीन वस्तुएँ, पेंटिंग्स क्रेट में भरकर रोम भेज दी जाती थी! पहले मुख्यमंत्री और बाद में केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन सिंह इस लूट का पूरा आयोजन किया करते थे! सीमा शुल्क से बचते हुए बिना कोई कस्टम ड्यूटी दिए , इटली में पहुंचा दी जाती थी! ये सारा खजाना सोनिया गांधी की बहन अलेस्संद्र माइनो विंची के स्वामित्व वाली दो दुकानों में मुफ्त के भाव बेच दिया जाता थी जिनके नाम क्रमश एत्निका और गणपति थे!

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