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सोमवार, 1 सितंबर 2014

गाँधी परिवार की डिग्रिया.....!


अब इस खानदान की डिग्रियाँ देखिये ...............................
प्रधानमन्त्री बनने के बाद राजीव गाँधी ने लन्दन की एक प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में अपने-आप को पारसी की सन्तान बताया था, जबकि पारसियों से उनका कोई लेना-देना ही नहीं था,क्योंकि वे तो एक मुस्लिम की सन्तान थे जिसने नाम बदलकर पारसी उपनाम रख लिया था । हमें बताया गया है कि राजीव गाँधी केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के स्नातक थे, यह अर्धसत्य है... ये तो सच है कि राजीव केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मेकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र थे, लेकिन उन्हें वहाँ से बिना किसी डिग्री के निकलना पडा था, क्योंकि वे लगातार तीन साल फ़ेल हो गये थे... लगभग यही हाल सानिया माईनो का था...हमें यही बताया गया है कि वे भी
केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की स्नातक हैं... जबकि सच्चाई यह है कि सोनिया स्नातक हैं ही नहीं, वे केम्ब्रिज में पढने जरूर गईं थीं लेकिन केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में नहीं । सोनिया गाँधी केम्ब्रिज में अंग्रेजी सीखने का एक कोर्स करने गई थी, ना कि विश्वविद्यालय में (यह बात हाल ही में लोकसभा सचिवालय द्वारा माँगी गई जानकारी के तहत खुद सोनिया गाँधी ने मुहैया कराई है, उन्होंने बडे ही मासूम अन्दाज में कहा कि उन्होंने कब यह दावा किया था कि वे केम्ब्रिज की स्नातक हैं, अर्थात उनके चमचों ने यह बेपरकी उडाई थी)। क्रूरता की हद तो यह थी कि राजीव का अन्तिम संस्कार हिन्दू रीतिरिवाजों के तहत किया गया, ना ही पारसी तरीके से ना ही मुस्लिम तरीके से । इसी नेहरू खानदान की भारत की जनता पूजा करती है, एक इटालियन महिला जिसकी एकमात्र योग्यता यह है कि वह इस खानदान की बहू है आज देश की सबसे बडी पार्टी की कर्ताधर्ता है और "रॉल" को भारत का भविष्य बताया जा रहा है । मेनका गाँधी को विपक्षी पार्टियों द्वारा हाथोंहाथ इसीलिये लिया था कि वे नेहरू खानदान की बहू हैं, इसलिये नहीं कि वे कोई समाजसेवी या प्राणियों पर दया रखने वाली हैं....और यदि कोई सानिया माइनो की तुलना मदर टेरेसा या एनीबेसेण्ट से करता है तो उसकी बुद्धि पर तरस खाया जा सकता है और हिन्दुस्तान की बदकिस्मती पर सिर धुनना ही होगा... 

1992 में, सोनिया गांधी ने अपने इटेलियन नागरिकता को बनाये रखने के लिएउसे रेवाईव किया!अब इटेलियन कानून के अनुसार राहुल और प्रियंका एक इटेलियननागरिक (सोनिया) कि संताने होने के कारण अपने आप ही इटेलियन नागरिक हो गए !
आप सभी लोगों में नसे बहुत कम लोग जानते होंगे कि राहुल को हिंदी से ज्यादा इटेलियन भाषा काज्ञान है! 27th सितम्बर 2001 को ये आदमी बोस्टन, अमेरिका में ऍफ़.बी.आई. द्वारा रोक लिया गया था! अगर तब इसकी माँ ने अपने अधिकारों का गलत प्रयोग न किया होता तो साला सारी उम्र डिटेंशन में कट जानी थी इस आदमी की !
अगर भारत में ऐसा कानून है कि कोई भी बड़ी और महत्वपूर्ण पदवी किसी भी विदेशी को नहीं दी जा सकती तो राहुल खुद-बी-खुद ही योग्य साबित हो गया , भारत का प्रधानमंत्री बनने के!

ये बात सबसे पहले आई किस साले के दिमाग में कि इन माँ-बेटे में से किसी को प्रधानमंत्री बनाया जाये!

अब आते हैं इस छोटे गाँधी, राहुल की शिक्षा कि तरफ! \राहुल को दिल्ली केसेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला तो मिला , लेकिन मेरिट बेस पर नहीं, बल्कि राइफल शूटिंग में किसी प्रदर्शन के कारणखेल कोटा के अंतर्गत! (बेशक वहां दाखिला लेने में भी इस परिवार कि शक्तियां काम आई!)अब खेलों में इस लड़की जैसे दिखने वाले ने क्या तीर मारा होगा, आप खुद ही समझे!

1989-90
के दोरान कुछ समय दिल्ली के कॉलेज में बिताने के बाद इस महानुभाव मंद-बुद्दी फ्लोरिडा के रोलिंस कॉलेज से 1994 में बी.ए. पास की ! अब किसी को मात्र बी.ए. करने के लिए USA जाने की क्या जरुरत है!
आगे देखिये--
अगले ही वर्ष, 1995 में उसे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से एम. फिल कि डिग्री मिल गयी!
अपना दिमाग लगाईयेगा बंधुओं यहाँ!
बिना M.A. किये किसी को M.Phil. कि डिग्री कैसे इशु हो सकती है! खैर इसके पीछे भी अमर्त्य सेन का हाथ मन जाता रहा है!
और वैसे भी मुन्ना भाई एम्.बी.बी.एस. तो हम सभी ने देखी ही है!
अब कैसे इन्होने अपना विरोद करने वालों पर अपने अधिकारों के नाजायज़ रूप से प्रयोग करके फायदा उठाया है, इसका उदाहरन देखिये!
एक बार इस मंद-बुधी राहुल को छात्रों की रैली करने के लिए कानपूर के चन्द्र शेखर आज़ाद यूनिवर्सिटी का ऑडिटोरियम का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी गयी! इसके बाद,विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर वि.के. सूरी को प्रदेश के गवर्नर ने पद से बर्खास्त कर दिया!

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